Ad

लेमन ग्रास

इन पौधों के डर से मच्छर भागें घर से

इन पौधों के डर से मच्छर भागें घर से

फिलहाल मच्छर जनित रोग डेंगू- मलेरिया का जोर है। मलेरिया व डेंगू की वजह से उत्तर प्रदेश राज्य का जनपद हाथरस के बहुत सारे लोग भी चपेट में हैं। मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार के मॉस्किटो किलर का प्रयोग कर रहे हैं। दरअसल, इनसे निकलने वाला धुआं व अन्य रसायन सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित होते हैं। लेकिन इस परेशानी से बचने के लिए उद्यान विभाग घर में कुछ खास पौधे यानी की नैचुरल मॉस्किटो रिपेलेंट्स लगाने की सलाह दे रहा है। इनकी सुगंध से मच्छर पास नहीं आते और ये काफी अच्छे भी होते हैं। इन पौधों के संदर्भ में थोड़ा प्रकाश डालें। लेमन ग्रास : लेमन ग्रास की सहायता से मच्छर, मकोड़े, कीड़े से बचाया जा सकता है। साथ ही विभिन्न प्रकार के अन्य शारीरिक रोगों से लड़ने में भी अहम् भूमिका निभाती है। लेमन ग्रास को बगीचे व गमले में उगाया जा सकता है। लेमन ग्रास की सुगंध से मक्खी मच्छर दूर भाग जाते हैं इसलिए यह डेंगू और मलेरिया से बचाने के लिए बेहद जरुरी है। लेमन ग्रास का उपयोग लेमन टी के रूप में भी किया जाता है। गेंदे का पौधा: गेंदे का पौधा एक नैचुरल मॉस्किटो रिपेलेंट्स पौधे (Natural mosquito repellent plants) के साथ ही बेहतरीन फूल भी है।  इसमें कई ऐसे गुण विद्यमान हैं, जो इसको एक अलग ही पहचान देते हैं। इस पौधे की पंखुड़ियों एवं फूल से एक अच्छी महक आती है, जो मच्छरों के लिए जानलेवा होती है। इसी कारण से, मच्छर इसके समीप आने से भयभीत होते हैं। मच्छरों से निपटने के लिए गेंदे के पौधों को अपने घर में एवं बालकनी में लगायें, इससे मच्छर आपके घर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।


ये भी पढ़ें:
गेंदा के फूल की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
पुदीने का पौधा: पुदीने की खुशबू मच्छरों के प्रकोप से बचाने में सहायक साबित होती है। इसकी पत्तियों से उत्पन्न महक विभिन्न प्रकार के कीड़ों से बचाती है। पुदीने के उत्पादन को गमलों की सहायता से पैदा किया जा सकता है, एवं इसके लिए मिट्टी में नमी व अच्छे जल की निकासी होती है। इसे घर में सहजता से लगाया जा सकता है। लैवेंडर का पौधा: मच्छरों को दूर भगाने के लिए जिन मॉस्किटो रिपेलेंट्स का प्रयोग किया जाता है, उनमें लैवेंडर ऑयल का प्रयोग किया जाता है। लैवेंडर का पौधा मच्छरों से निपटने के लिए बेहद सहायक होता है साथ ही इसको घर पे आसानी से उगाया जा सकता है। तुलसी का पौधा: तुलसी के पौधे का हिंदू धर्म में बेहद पौराणिक महत्त्व है। तुलसी के पौधे में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण विघमान होते हैं। बतादें कि तुलसी के पत्तों का अर्क जुकाम, खांसी एवं सर्दी से राहत दिलाने में बेहद सहायक होता है। साथ ही, तुलसी का पौधा मच्छरों से बचाने में बेहद काम आता है। इसे सहजता से घर में उगाया जा सकता है। रोजमेरी का पौधा: रोजमेरी का पौधा सुंदर पुष्पों सहित दिखने में बेहद आश्चर्यजनक होता है। रोजमेरी के पौधे को लोग घर के सौंदर्यीकरण के लिए उपयोग करते हैं। बतादें कि रोजमेरी का पौधा नैचुरल मॉस्किटो रिपेलेंट्स माना जाता है। यह मच्छरों से बचाने में काफी सहायक साबित होता है। साथ ही, जिला उद्यान अधिकारी अनीता यादव का कहना है कि इस बार २० हेक्टेयर में तुलसी की पैदावार का संकल्प विभाग को दिया गया गया है। इसमें 14 हेक्टेयर लक्ष्य हासिल हो चूका है। उघान विभाग पर जाकर तुलसी के पौधे खरीदने की चाह रखने वाले किसान तुलसी के बीज प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल जनपदों में डेंगू के मामलों में प्रतिदिन बढ़ोत्तरी की जा रही है। अब तक जनपद में २२ मामले सामने आए हैं। ड़ेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी निरंतर नियंत्रण कर रहा है। शहर, गांव, कस्बा एवं मौहल्ला में फॉग उपकरण द्वारा कीटनाशक छिड़काव हो रहा है। साथ ही, डॉक्टर्स की टोली भी दवाई वितरण का कार्य कर रहीं हैं।
जाने कैसे लेमन ग्रास की खेती करते हुए किसानों की बंजर जमीन और आमदनी दोनों में आ गई है हरियाली

जाने कैसे लेमन ग्रास की खेती करते हुए किसानों की बंजर जमीन और आमदनी दोनों में आ गई है हरियाली

आजकल किसान खेती में अलग-अलग तरह के प्रयोग कर रही हैं. पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर आजकल के साथ ऐसी फसलें उगा रहे हैं जो उन्हें इनके मुकाबले ज्यादा मुनाफा देती हैं और उनकी आमदनी बढ़ाने में भी मदद करती हैं. इसी तरह की फसलों में बागवानी सच में काफी ज्यादा चलन में हैं. आज हम लेमन ग्रास/ मालाबार ग्रास या हिंदी में नींबू घास के नाम से जाने वाली फसल के बारे में बात करने वाले हैं जिसे उगा कर आजकल किसान अच्छा खासा लाभ और मुनाफा कमा रहे हैं. इस फसल की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बंजर जमीन में भी आसानी से उगाया जा सकता है और इसे बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है.  इसके अलावा इस फसल को उगाने में बहुत ज्यादा कीटनाशक दवाइयां वेतनमान नहीं करनी पड़ती है. यह एक औषधीय फसल मानी जाती है और पशु लेमन ग्रास को नहीं खाते हैं इसलिए आपको अपने खेतों में पशुओं से बचाव करने की भी जरूरत नहीं है. आप बिना कोई  बाड़ा बनाई भी खुले खेत में नींबू घास की फसल आसानी से उग सकते हैं.

बिहार सरकार दे रही है लेमन ग्रास की फसल उगाने पर सब्सिडी

लेमन ग्रास की फसल से जुड़ी हुई एक बहुत बड़ी खबर बिहार राज्य सरकार की तरफ से सामने आ रही है. बिहार सरकार किसानों को नींबू घास की खेती करने पर सब्सिडी दे रही है.  पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में बहुत ही महिला किसानों की तारीफ भी की थी जो उच्च स्तर पर लेमन ग्रास की खेती कर रही है.इसी झारखंड के साथ-साथ बिहार में भी यह फसल उगाने का चलन पिछले कुछ समय में बहुत बढ़ गया है. बिहार के बांका, कटोरिया, फुल्लीडुमर, रजौन, धोरैया, सहित अन्य जिलों के किसान में नींबू घास की खेती कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:
इस राज्य के किसान अब करेंगे औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

प्रति एकड़ लेमन ग्रास की फसल पर दी जाएगी ₹8000 की सब्सिडी

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि नींबू घास की खेती बंजर जमीन पर भी की जा सकती है. ऐसे में बिहार सरकार बंजर जमीन का इस्तेमाल करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है और इसी कड़ी में अगर किसान बंजर भूमि में लेमन ग्रास की खेती करते हैं तो उन्हें प्रति एकड़ की दर से ₹8000 की सब्सिडी बिहार सरकार द्वारा दी जाएगी. अब वहां पर आलम ऐसा है कि कई वर्षों से खाली पड़ी हुई बंजर जमीन पर किसान बढ़-चढ़कर नींबू घास की खेती कर रहे हैं और इससे पूरे राज्य भर में हरियाली तो आई ही है साथ ही किसानों की आमदनी में भी अच्छा खासा इजाफा हुआ है.

लेमन ग्रास का इस्तेमाल कहां किया जाता है?

यह एक औषधि है और लेमन ग्रास का तेल निकाला जा सकता है जो कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके तेल से बहुत ही दवाइयां, घरेलू उपयोग की चीजें, साबुन तेल और बहुत से कॉस्मेटिक प्रोडक्ट (Cosmetic Product) भी बनाए जा सकते हैं. नींबू घास की फसल से बनने वाले तेल में पाया जाने वाला सिट्रोल उसे विटामिन ई का एक बहुत बड़ा स्त्रोत बनाता है.

कम पानी में भी आसानी से उगाई जा सकती है यह फसल

अगर आपके पास पानी का स्रोत नहीं है तब भी आप आसानी से लेमन ग्रास की खेती कर सकते हैं. इसके अलावा इस फसल को बहुत ज्यादा कीटनाशक या उर्वरक की भी जरूरत नहीं पड़ती है.  जानवर एक खास को नहीं खाते हैं इसलिए किसानों को जानवरों से भी फसल को किसी तरह के नुकसान होने का डर नहीं है. एक बार लगाने के बाद इस फसल की बात से छह बार कटाई की जा सकती है.

कितनी लगती है लागत?

शुरुआत में अगर आप 1 एकड़ जमीन में है फसल उगाना चाहते हैं तो लगभग बीज और खाद आदि को मिलाकर 30 से 40,000 तक खर्च आ सकता है. 1 एकड़ के खेत में यह फसल उगाने के लिए लगभग 10 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है. बीज लगाने के बाद 2 महीने के अंदर-अंदर इसके पौधे तैयार हो जाते हैं. अगर किसान चाहे तो किसी नर्सरी से सीधे ही लेमन ग्रास के पौधे भी खरीद सकते हैं

1 साल में नींबू घास की फसल की 5 से 6 बार कटाई करके पत्तियां निकाली जा सकती हैं.

अगर आप इस फसल को किसी बंजर या कम उपजाऊ जमीन पर भी लगा रहे हैं तो एक बार लगाने के बाद यह लगभग अगले 6 सालों तक आपको अच्छा खासा मुनाफा देती है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आप नींबू घास की अच्छी पैदावार करना चाहते हैं तो खेत में गोबर और लकड़ी की राख डालते रहें.

बिहार में बनवाए जा रहे हैं लेमन ग्रास का तेल निकालने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट

बिहार में राजपूत और कटोरिया में लेमन ग्रास तेल निकालने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट बनाई जा चुकी है. इसका तेल निकालने के लिए काम में आने वाली मशीन लगभग ₹400000 की आती है.  नींबू घास के 1 लीटर तेल की कीमत बाजार में 1200  से ₹2000 तक लगाई जाती है. इस तरह से किसान कुछ एकड़ में यह फसल उगा कर लाखों का मुनाफा थाने से कमा सकते हैं. अगर 1 एकड़ में भी है फसल लगाई जाती है तो उसमें इतनी फसल आसानी से हो जाती है कि उससे 100 लीटर के लगभग तेल की निकासी की जा सके. यहां के किसानों से हुई बातचीत में पता चला है कि कृषि विभाग भी इस फसल को उगाने में किसानों की आगे बढ़कर मदद कर रहा है. किसानों का कहना है कि इस फसल की मदद से उनकी बंजर  भूमि में तो हरियाली आती ही है साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में भी हरियाली आई है.
जानिए अरोमा मिशन क्या है और इससे किसानों को क्या फायदा है

जानिए अरोमा मिशन क्या है और इससे किसानों को क्या फायदा है

बैंगनी क्रांति मतलब कि अरोमा मिशन ने किसानों की तकदीर बदल दी है। दरअसल, इस योजना के अंतर्गत किसानों की आमदनी में लगभग 2.5 गुना बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही, रोजगार में भी बढ़वार हो रही है। सरकार की इस योजना के माध्यम से तेलों एवं अन्य सुगंधित उत्पादों को तैयार करने में सहायता मिल रही है। किसानों की आमदनी को कई गुणा बढ़ाने के लिए भारत सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की शानदार योजनाऐं चलाई जा रही हैं। इन्हीं में से अरोमा मिशन भी है, जो किसानों की आमदनी को दोगुना से भी कहीं ज्यादा करने में सहायता कर रही है। इस योजना की सहायता से किसान अपने खेत में सुगंधित फसलों की खेती बड़ी ही सुगमता से कर रहे हैं। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए-नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। जिससे किसानों के साथ-साथ आम नागरिक भी आत्मनिर्भर हो सकें। मीडिया खबरों के अनुसार, अरोमा मिशन के अंतर्गत भारत के किसानों की आमदनी में तकरीबन 2.5 गुना इजाफा देखने को मिला है।

अरोमा मिशन आखिर होता क्या है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि अरोमा मिशन सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए जारी की गई सरकार की एक अनोखी कवायद है। इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य सुगंधित तेलों एवं अन्य सुगंधित उत्पादों के विनिर्माण में भारत की उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नवीन अवसर पैदा करना भी है। इसके अतिरिक्त इस मिशन के अंतर्गत किसानों को बीज व पौधे भी मुहैय्या करवाए जाते हैं। साथ ही, खेती किसानी की नई-नई तकनीकों के विषय में भी सिखाया जाता है। खबरों की मानें तो इस मिशन में केवल किसान ही नहीं बल्कि उसका संपूर्ण परिवार भी खेती-किसानी की तकनीक को सीख सकते हैं।

ये भी पढ़ें:
Ashwgandha Farming: किसान अश्वगंधा की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं

अरोमा मिशन से किसानों को क्या लाभ हुआ है

अरोमा मिशन जम्मू कश्मीर में चलाए जाने वाला एक मिशन है। अरोमा मिशन में वैज्ञानिकों द्वारा भी पूरा सहयोग किया जा रहा है। अरोमा मिशन के अंतर्गत वैज्ञानिक सीधे तौर पर किसानों के खेतों पर पहुंच रहे हैं। साथ ही, उनकी विभिन्न प्रकार की दिक्कतों को भी हल कर रहे हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि किसान फसल की उगाई से लगाकर उनकी कटाई तक वैज्ञानिकों की सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस संदर्भ में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की महानिदेशक एन कलाईसेल्वी ने बताया है, कि कृषि वैज्ञानिक फिलहाल प्रयोगशाला में ही बैठकर फसलों की निगरानी और किसानों की सहायता नहीं कर रहे हैं। वह फिलहाल स्वयं चलकर किसान का हाथ पकड़ रहे हैं। इसके साथ ही उनकी प्रत्येक दिक्कत-परेशानी को दूर करने की कोशिशों में जुटे हैं।